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लेखनी कहानी -01-Aug-2022

राघव मेहता और समर चौहान जो कभी दो जिस्म एक जान हुआ करते थे। आज एक दूसरे को देख कर ही रास्ता बदल लेते हैं। एक साथ बिजनेस शुरू कर इतनी ऊंचाई पर पहुंच गए थे जहां रिश्ते अहंकार और दौलत की चकाचौंध में लुप्त हो जाते हैं। इन दोनों के साथ भी यही हुआ था। एक छोटे से झगड़े की वजह से और अपने अपने अहंकार के चलते कब वो दोनों धीरे धीरे एक दूसरे से दूर होते चले गए, यह उन दोनों को ही पता नहीं चला। इन दोनों की आपसी रंजिश के चलते स्नेहा (राघव की पत्नी) और दिया (समर की पत्नी) का भी आपस में मिलना जुलना बंद हो गया था। आखिर एक दिन यह दूरियां इतनी बढ़ गई कि राघव और समर के सांझी कंपनी दो हिस्सों में बंट गई। एसआर इंटरप्राइजेज जो दोनों के नाम पर बनी थी। आज टूट कर मेहता और चौहान इंडस्ट्री बन गई। यह मुंबई शहर जो उन दोनों को कामयाबी और मेहनत की चश्मदीद गवाह था। आज दोनों के बंटवारे को भी देख रहा था। 


एक साल बाद 

राघव किसी मीटिंग में से वापिस लौट कर आ रहा था कि रास्ते में एक सुनसान जगह पर कच्चे रास्ते पर उसे एक गाड़ी बुरी हालत में रास्ते से उतरी हुई नज़र आई। शायद किसी को सहायता की आवश्यकता हो, यह सोचकर राघव गाड़ी रोक कर नीचे उतरा और उस गाड़ी के पास पहुंच गया। ड्राईवर की सीट पर एक आदमी स्टेरिंग पर सिर टिकाए दिखाई दिया तो उसने उसे सीधा किया और चौंक उठा।


"समर उठो" उसने समर के गाल थपथपा कर अत्यंत घबराहट भरी आवाज में कहा। आखिर जो सामने था, वो कभी उसका जान से प्यारा दोस्त था। राघव की घबराहट भरी आवाज सुनकर राघव का ड्राइवर दिनेश दौड़ते हुए आया। दिनेश को समर के पास छोड़ कर राघव वापस अपनी गाड़ी के पास पहुंचा और फोन निकाल कर तुरंत एंबुलेंस के लिए काॅल कर दिया। 

दस मिनट बाद ही एंबुलेंस आ गई। एंबुलेंस के पीछे राघव भी अस्पताल पहुंच गया। डाक्टर राघव को जानता था इसलिए तुरंत समर को एडमिट कर लिया। राघव ने स्नेहा को फोन कर देर से घर आने की बात बोल कर फोन काट दिया। अंदर आपरेशन चल रहा था और बाहर राघव बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था। 


उसने समर के फोन में से दिया का नंबर लगा लिया लेकिन तुरंत फोन काट दिया। उसने दिया के वटसैप पर समर के अस्पताल में भर्ती होने का और अस्पताल का नाम लिख कर मैसेज भेजा और डाक्टर का इंतजार करने लगा। राघव यह जानकर आश्चर्यचकित था कि समर के फोन का पासवर्ड आज भी राघव का जन्मवर्ष ही है। समर ने भी उसी की तरह आज तक अपना पासवर्ड चेंज नहीं किया। जब दिया वहां पहुंचीं तो राघव को इतने समय बाद देख कर उसकी आंखें नम हो गईं। आखिर दोनों परिवारों में प्यार ही इतना था जो राघव और समर की अनबन से भी कम नहीं हुआ। 

कुछ देर बाद डॉक्टर ने आ कर समर के खतरे से बाहर होने और होश में आने की बात कही तो दिया और राघव के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। दिया मुस्कुराते हुए अंदर गई तो समर हैरान हो कर उसे देख रहा था ।


"वैसे तो ऐसे हालात में लोग अक्सर मुरझाए चेहरे के साथ अस्पताल में होते हैं लेकिन तुम पहली इंसान हो जो पति की ऐसी हालत में भी मुस्कुरा रही हो। अगर मुझे मालूम होता कि ठीक होने पर तुम्हें ऐसे मुस्कुराते हुए देखने को मिलेगा तो मैं रोजाना कहीं ना कहीं गाड़ी ठोक देता।" समर ने कहा तो दिया को पहले तो बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर समर की हालत देख वो चुप रही। 

"वैसे तो ऐसी हालत में भी ऐसी मसखरी करना सेहत के लिए हानिकारक होता है लेकिन इस बार इस एक्सीडेंट से कुछ अच्छा हुआ तो जाओ माफ किया।" दिया ने फिर से चेहरे पर मुस्कान लाते हुए कहा। समर ने हैरानी से दिया को देखा।


"सरप्राइज़!" कहते हुए दिया ने दरवाजा की तरफ इशारा किया लेकिन वहां किसी को ना पा कर समर ने हैरानी से वापस दिया को देखा। राघव को दरवाजा पर ना पा कर दिया ने जोर से सिर पीट लिया और उठ कर कमरे से बाहर निकल गई। उसने राघव को आवाज लगाई और उसके साथ अंदर की तरफ बढ़ गई। राघव धीरे धीरे हिचकिचाते हुए आगे बढ़ रहा था जैसे समर के पास जाने में कोई बाधा हो रास्ते में। आखिर इतने समय बाद दोनों फिर एक दूसरे के आमने सामने होंगे।


"अब आ भी जा यार यां तुझे दूसरे तरीके से मनाना पड़ेगा।" यह सुनकर राघव ने चौंककर समर को देखा जो मुस्कुराते हुए उसे ही देख रहा था तो राघव दौड कर समर के गले लग गया। इतने सालों की कड़वाहट आज आंसूओं में बह चुकी थी। नफ़रत कितनी भी बड़ी क्यूं ना हो मोहब्बत के आगे हमेशा हार ही जाती है।



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10 Comments

Khan

03-Aug-2022 05:02 PM

Nice

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Saba Rahman

03-Aug-2022 11:47 AM

Nice

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Aniya Rahman

02-Aug-2022 10:59 PM

Nyc

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